हो कर दुनियावी तिलिस्म से दूर इन्सां बन जाऊँ,
या कर दरकिनार सारे पर, पर-फ़िशाँ बन जाऊँ। "1"
या कर दरकिनार सारे पर, पर-फ़िशाँ बन जाऊँ। "1"
ख़ल्वत को मुकम्मल करुँ या हर महफ़िल को,
जी कर सारी ख़िज़ां, मैं ख़ुद फ़िज़ा बन जाऊँ।"2"
जी कर सारी ख़िज़ां, मैं ख़ुद फ़िज़ा बन जाऊँ।"2"
आए कैसे रास मुझे आब-ओ-ताब की ज़िंदगी,
ग़र रज़ा दे रब तो उसके दर बे-नवा बन जाऊँ। "3"
ग़र रज़ा दे रब तो उसके दर बे-नवा बन जाऊँ। "3"
मखमल सी शब करुँ या क़ौस-ए-क़ुज़ह सा दिन,
करने जहां रोशन किसी दिन कहकशाँ बन जाऊँ।" 4"
करने जहां रोशन किसी दिन कहकशाँ बन जाऊँ।" 4"
निगाहों में ना पशेमानी हो, ना क़ल्ब में बेहया हो,
ज़र्रे ज़र्रे हो माटी सा, पानी सा रवाँ रवाँ बन जाऊँ।"5"
ज़र्रे ज़र्रे हो माटी सा, पानी सा रवाँ रवाँ बन जाऊँ।"5"
दामन से समेट कर रंज-ओ-ग़म दे दूँ अपनी हँसी,
शहीद की माँ का मैं फिर से बेटा जवाँ बन जाऊँ।"6"
शहीद की माँ का मैं फिर से बेटा जवाँ बन जाऊँ।"6"
रिश्ता-ए-बेनाम ही सही, सब के कर्ब मैं चुरा लूँ,
खरीदकर नफ़रत, मोहब्बत का निशाँ बन जाऊँ।"7"
खरीदकर नफ़रत, मोहब्बत का निशाँ बन जाऊँ।"7"
निकलूँ तलाशने राज़-ए-तबस्सुम किसी सहर,
शाम लौट आऊँ सलामत तो नई ज़ुबाँ बन जाऊँ।"8"
शाम लौट आऊँ सलामत तो नई ज़ुबाँ बन जाऊँ।"8"
ऐ टूटती क़लम थोड़ा रुक, थोड़ा और लिख लूँ,
भटकते जो अँधेरों में उनके लिए शमा बन जाऊँ।"9"
भटकते जो अँधेरों में उनके लिए शमा बन जाऊँ।"9"
ख़ुद में छिपे रूहानी इल्म ओ तसव्वुफ़ ढूंढ़कर,
वसीयत की किताबों में दर्ज़ किस्सा बन जाऊँ।"10"
वसीयत की किताबों में दर्ज़ किस्सा बन जाऊँ।"10"
ले उल्फत के धागे बख़िया-गरी सीखना है मुझे
सी कर बेघरों के शामियाने आसमाँ बन जाऊँ।"11"
सी कर बेघरों के शामियाने आसमाँ बन जाऊँ।"11"
मेरी ज़िंदगी लगे लाख शाख़-ए-निहाल-ए-ग़म,
राही को धूप से बचाने मैं शजर नया बन जाऊँ।"12"
राही को धूप से बचाने मैं शजर नया बन जाऊँ।"12"
सहर-ओ-शाम सजदे में रहूँ ओ दिन इबारत में,
तेरी इबादत में बैठ इल्म का रहनुमा बन जाऊँ।"13"
तेरी इबादत में बैठ इल्म का रहनुमा बन जाऊँ।"13"
वतन के वास्ते दिल में बसा कर चैन ओ अमन,
माटी से करुँ बातें, माटी सा हमनवां बन जाऊँ।"14"
माटी से करुँ बातें, माटी सा हमनवां बन जाऊँ।"14"
क़यामत तक रहूँ जिंदा जगाकर कुछ ख्वाहिशें,
आबो दाना दे जरूरतमंद का मेहरबाँ बन जाऊँ। "15"
आबो दाना दे जरूरतमंद का मेहरबाँ बन जाऊँ। "15"
कैद कर इस गुलशन की सारी महक ख़ुद में,
पुराने पत्ते सा झड़, ज़मीं का मेहमां बन जाऊँ। "16"
पुराने पत्ते सा झड़, ज़मीं का मेहमां बन जाऊँ। "16"
जिसके नाम से लबों पर फ़स्ल-ए-गुल आ जाए,
म्ह-ओ-साल क़ायम खिल मैं ख़ियाबां बन जाऊँ। "17"
म्ह-ओ-साल क़ायम खिल मैं ख़ियाबां बन जाऊँ। "17"
तराश लूँ संग-तराश होकर किसी की टूटी साँसें,
किसी की छत तो किसी का मकाँ बन जाऊँ। "18"
किसी की छत तो किसी का मकाँ बन जाऊँ। "18"
मिले लज़्ज़त-ए-आज़ार या तोहमत-ए-अग़्यार,
आए आँधी या तूफ़ाँ मिशअल-ए-जाँ बन जाऊँ।"19"
आए आँधी या तूफ़ाँ मिशअल-ए-जाँ बन जाऊँ।"19"
सजा दूँ फ़ूलों से राह हर तन्हा चलते क़दमों की,
ग़र नेक हो मंज़िल, साथ देने कारवाँ बन जाऊँ। "20"
ग़र नेक हो मंज़िल, साथ देने कारवाँ बन जाऊँ। "20"
रगों में दौर-ए-इन्सानियत शामिल करुँ खूँ सा,
हटा सब धर्मों के नकाब थोड़ा अयाँ बन जाऊँ ।"21"
हटा सब धर्मों के नकाब थोड़ा अयाँ बन जाऊँ ।"21"
वहम-ओ-गुमाँ निकाल दूँ मेरे बदलते चोले से,
जलकर राख हो जाऊँ कि उड़ धुँआ बन जाऊँ। "22"
जलकर राख हो जाऊँ कि उड़ धुँआ बन जाऊँ। "22"
मुस्तक़्बिल चाहे गुलों की तंग-दामानी बतलाए,
लगा क़िस्म क़िस्म के गुलाब, बागबाँ बन जाऊँ। "23"
लगा क़िस्म क़िस्म के गुलाब, बागबाँ बन जाऊँ। "23"
कभी ना करुँ जेब तराशी ओ रिश्वत का कारोबार,
टकसाल-ए-ईमान में ढ़ल सिक्का नवाँ बन जाऊँ। "24"
टकसाल-ए-ईमान में ढ़ल सिक्का नवाँ बन जाऊँ। "24"
ख़्वाब ना हो अर्श के, फ़र्श पर बैठ लिखूँ तहरीर,
फ़लक से चाँदनी लाऊँ ख़ुद बहती हवा बन जाऊँ। "25"
फ़लक से चाँदनी लाऊँ ख़ुद बहती हवा बन जाऊँ। "25"
गर्दिश ओ गिर्दाब सब म़जलूमों से किनारे कर दूँ,
चश्म से अश्क चुरा थोड़ा दरिया आसां बन जाऊँ। "26"
चश्म से अश्क चुरा थोड़ा दरिया आसां बन जाऊँ। "26"
कारवान-बहर-ओ-बर से गुजरे खुशमिज़ाज हो,
ख़ल्क़ को हिम्मत दे, वो सरगोशियाँ बन जाऊँ ।"27"
ख़ल्क़ को हिम्मत दे, वो सरगोशियाँ बन जाऊँ ।"27"
ख़स्ता दीवार-ओ-दर बयां करे नहीं मुफ़लिसी ,
मैं दिल से अमीर हो फ़ुसूँ साजियाँ बन जाऊँ।"28"
मैं दिल से अमीर हो फ़ुसूँ साजियाँ बन जाऊँ।"28"
चुपके से सैले-शमीम आए दरीचों से मुझे जगाने,
बू-ए-गुल से मैं जाग क़ायनात में गिरां बन जाऊँ। "29"
बू-ए-गुल से मैं जाग क़ायनात में गिरां बन जाऊँ। "29"
होश में रह जी लूँ ज़िंदगी, ज़बान पर रखूँ बंदगी,
माया अहम कर परे, जन्नत का ज़ीना बन जाऊँ। "30"
माया अहम कर परे, जन्नत का ज़ीना बन जाऊँ। "30"
जेह़न से मिटा शतरंज की सब चालाकियां 'मन',
है अरदास ख़ाक होने से पहले इन्सां बन जाऊँ। "31"
है अरदास ख़ाक होने से पहले इन्सां बन जाऊँ। "31"
©Manoj Dudi
पर-फ़िशाँ(पर झाड़ने वाला)
ख़ल्वत(एकान्त)
आब-ओ-ताब(शानो-शौकत)
रज़ा(आज्ञा)
क़ौस-ए-क़ुज़ह(इंद्रधनुष/rainbow)
शब(रात)
कहकशाँ(आकाशगंगा /Milky Way)
पशेमानी(पछतावा)
रवाँ( बहता हुआ)
क़ल्ब(दिल)
कर्ब(पीड़ा)
बे-नवा(गरीब)
बख़िया-गरी(सिलना /सीना)
शाख़-ए-निहाल-ए-ग़म(दुःखरुपी वृक्ष की शाख़ा)
शजर(पेड़)
फ़स्ल-ए-गुल(बसंत ऋतु)
ख़ियाबां(पुष्प वाटिका)
संग-तराश(मूर्तिकार)
तोहमत-ए-अग़्यार (दुश्मनों के आरोप)
लज़्ज़त-ए-आज़ार( तकलीफ़ के मज़े)
मिशअल-ए-जाँ(रोशनी का दीया)
तंग-दामानी(गरीबी)
मुस्तक़्बिल(भविष्य)
कारवान-बहर-ओ-बर(पानी और ज़मी का कारवाँ)
मुफ़लिसी(गरीबी)
फ़ुसूँ साजियाँ (जादू)
सैले-शमीम (ठण्डी हवा का झोंका)
दरीचों(खिड़कियों)
बू-ए-गुल(फ़ूलों की खुशबू)
गिरां(बहुमूल्य)
ज़ीना(सीढ़ी)
ख़ल्वत(एकान्त)
आब-ओ-ताब(शानो-शौकत)
रज़ा(आज्ञा)
क़ौस-ए-क़ुज़ह(इंद्रधनुष/rainbow)
शब(रात)
कहकशाँ(आकाशगंगा /Milky Way)
पशेमानी(पछतावा)
रवाँ( बहता हुआ)
क़ल्ब(दिल)
कर्ब(पीड़ा)
बे-नवा(गरीब)
बख़िया-गरी(सिलना /सीना)
शाख़-ए-निहाल-ए-ग़म(दुःखरुपी वृक्ष की शाख़ा)
शजर(पेड़)
फ़स्ल-ए-गुल(बसंत ऋतु)
ख़ियाबां(पुष्प वाटिका)
संग-तराश(मूर्तिकार)
तोहमत-ए-अग़्यार (दुश्मनों के आरोप)
लज़्ज़त-ए-आज़ार( तकलीफ़ के मज़े)
मिशअल-ए-जाँ(रोशनी का दीया)
तंग-दामानी(गरीबी)
मुस्तक़्बिल(भविष्य)
कारवान-बहर-ओ-बर(पानी और ज़मी का कारवाँ)
मुफ़लिसी(गरीबी)
फ़ुसूँ साजियाँ (जादू)
सैले-शमीम (ठण्डी हवा का झोंका)
दरीचों(खिड़कियों)
बू-ए-गुल(फ़ूलों की खुशबू)
गिरां(बहुमूल्य)
ज़ीना(सीढ़ी)
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