India - china war in Rezang La . when 124 Indian soldiers fought 1000 with Chinese troops in 1962


                                      

बात फेब्रुअरी १९६३ की हैं , चीन से लड़ाई ख़तम होने के तीन महीने बाद एक गड़रिया अपनी भेड़ो को चराते भटकते हुए त्रिसूल से रेजांग ला जा पंहुचा एक डैम से उसकी निगाह तबाह हुए बंकरो और  इस्तेमाल कि गयी गोलियों के खोलो पर पड़ी वो ओर पास गए तो उसने देखा की वहा चारो तरफ  लाशें ही लाशे पड़ी थी |वर्दी वाले सेनिको  लाशे | भारत के परमवीर चक्र विजेतावो पर मशहूर  किताब  "द ब्रेव" लिखने वाली, रचना बीस्ट रावत बताती हैं | सिपाहियों के हाथ में हथियार थे नर्सिंग अस्सिटेंट के हाथ में सेरिंग थी | किसी की बन्दुक उड़ चुकी थी पर उसका बाट हाथ में ही था , इस तरह की लाशे मिली तब पता चला की ये लोग कितनी बहादुरी के साथ लाडे होंगे | क्यूंकि जो लोग वापस आये उनकी  बातों पर विश्वास नहीं किया गया | और ये जो दो तीन महीने थे लोगो को अंदाजा था की या तो उन्हे युद्ध बंदी बना लिया गया या फिर वो लोग  भाग गए | इस तरह का दाग उन लोगो पर लगा दिया गया था की वह लोग कायर हैं | क्यों की वो अहीर चार्ली कम्पनी के सब उसी इलाके के थे | जो दो तीन बचकर आये  लोग उनके साथ अच्छा बर्ताव नहीं करते थे , उनके बच्चो को स्कूल से निकल दिया गया एक ngo को बहुत बड़ा कम्पैन चलना पड़ा लोगो को समझाने  के , लिए ये  बहादुर  थे ये कायर नहीं थे | १३ कुमावो को चिसुल  को हवाई पट्टी की हिफाजत के लिए भेजा गया था| उसके अधिकतर जवान हरियाणा से थे जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी बर्फ गिरते नहीं  थी | उन्हे दो दिन की नोटिस पर जम्मू कश्मीर के बारामुला से वहा से लाया गया था | उन्हे उचाई और सर्दी में डालने का मुका भी नहीं मिला | १८ नवम्बर  रविवार का दिन था ठण्ड रोज की बनिस पर कुछ ज्यादा ही पद रही थी | और रेज़ांगला में बर्फ भी गिर रही थी | उस लड़ाई में जिन्दा बच निकलने वाले कप्तान सूबेदार रामचंद्र यादव जो इस समय  रेवाड़ी में रहते हैं , याद करते हैं ठीक ३:३० बजे हमारी ८ प्लाटून की LP लगी हुयी थी साहब बोले सामने से फायर आया हैं | तभी साहब को फोन आया की ८-१० चिन के जवान हमारी तरफ आरहे थे | तब हमारे जवानो ने फायर किया जिसमे कुछ जवान मर गए  , बाकि भाग गए हैं | तब मेने साहब को कहा साहब जो बखत हम चाहते थे वह आज्ञा हैं | साहब आप चिंता नहीं करे हम सब जा रहे मोर्चा संभाल लिया हैं | ७ पल्टन के जमादार सुजेवाल   ने अपने कंपनी कमांडर को जानकारी दी की चीन के करीब ४०० सैनिक   उनकी तरफ बड़ रहे हैं | तभी ८ पल्टन ने रिपोर्ट किया की ब्रिज की तरफ से करीब ८०० सैनिक भी उनकी तरफ बाद रहे हैं | मेजर शैतान सिंह ने आदेश दिया | जैसे ही चीनी उनकी शूटिंग रेंज में आये फायरिंग शुरू कर दे | दोनों तरफ से फायरिंग करके चीन का ये हमला भी नाकाम करदिया | चीन के सेनिको ने भरी मशीन गन का उपयोग करके हमारे बमबारी करदी | जब चीन के सरे हमले नाकाम हो गए तब उन्होने अपनी योजना बदल डाली | सुबह ४:३० के करीब उन्होने  सभी चौकियों पर एक साथ गोलों बरसाने शुरू करदिये १५ मिनिट में सब कुछ ख़तम करदिया | पहला हमला उन्होने नाकाम करदिया | फिर दूसरा हमला चीनियों नो उन्होने पर मोर्टार से हमला किया | भारत को जो सैनिक वह पर तैनात थे उनके  पास केवल हलकी बन्दुक थी जो की सिंगल लोड थी , हर गोली के बाद उन्हे लोड करना पड़ता था | इतनी ठंडी थी की जवानो की ऊँगली जाम गयी थी |  १५ मिनिट में बहुत तबाही हो गयी थी | तब मेजर सेटन सिंह ने कहा आप गबराइये नहीं आप लड़ते रहिये | जब धुआँ ख़तम हुआ तब उन्होने देखा दूर ब्रिज पर यॉक आरहे हैं | कुछ समय के लिए जवानो ने सोचा हमारी ही  अल्फा कंपनी के लोग हैं जो हमारे बचाव के लिए आरहे रहे हैं | पर जब उन्होने दूरबीन लगा के देखा तो वो चीन के सैनिक थे , जो यॉक पर अपना सामान लाद कर ला रहे थे| ये उनका तीसरा हमला था जब उन्होंने आकर एक -एक को मर दिया |  इस बिच मेजर शेतान सिंह की बाह में शैल का टुकड़ा आ लगा | पट्टी करने के बाद उन्होंने लड़ाई जारी रखी| तभी चीन के एक सैनिक का बट उनके पेट में आ लगा मेजर शैतान सिंह अत्यधिक खून बह  कारण गिर पड़े | बार -बार बेहोस हो रहे थे | सूबेदार राम  सिंह यादव उनके साथ थे | साहब से उनसे कहा मेरा बेल्ट खोल दे बहुत दर्द हो रहा हैं , परन्तु उन्होने बेल्ट नहीं खोलने से इंकार करदिया | मेजर ने उनसे कहा  आप बटालियन में वापस चले जाय | और बताये कंपनी ऐसे लड़ी और शहीद हो गयी  ये मेरा हुकम हे जॉव | लाशे ऐसे पड़ी थी जैसे कपड़े की गुड़िया | इस लड़ाई में १२४ जवान में से ११३ जवान मरे गए | बचे हुए जवानो में सूबेदार रामचंद्र यादव अपने मेजर की लाश को दुश्मन  के हाथो नहीं लगने दी |
                        

 वो मेजर साहब को लेकर निचे आगये |  उन्होंने सोचा निचे आकर स्टेशन मास्टर को लेकर आये और सबकी लाशे लेकर जायँगे | परन्तु जब वो निचे आकर देखते वहा तो आग लगा रखी हैं | इस लड़ाई को भारत के इतिहास में सबसे लड़ी में से एक मन जाता हैं | जब एक इलाके के लिए सारे सैनिक शहीद होगये | उन्होंने हुक्म मिला था की आप आखिरी गोली , आखिरी आदमी तक लडे | इसका उन्होंने पूरी तरह पालन किया | १२४ लोगो के सामने १००० लोग थे | रेजांग ला में लड़ने वाले स कंपनी का हर एक जवान हीरो था।  अदम्य साहस दिखाने के लिए मेजर शैतान सिंह को परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया | ( यहां भी पड़े :- Next Dalai lama to be born in India ? Dalai Lama )
                          

पिछले दिनों प्राधनमंत्री ने दिल्ली के इंडिया गेट के पास राष्ट्रीय समर स्मारक का उद्घाटन किया , जिसमे १९४७ से आज तक भारत द्वारा लाडे गए युुद्धो में मरने वालो की वीरता को याद किया गया | 

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