आवश्यकता ही अविष्कार की जननी हैं | इस कहावत को सही साबित करने वाले गुरमीत सिंह| गुरमीत सिंह हनुमानगड़ राजस्थान के रहने वाले हैं, पेशे से किसान हैं जिनका एक छोटा भाई हैं , कहानी कुछ इस प्रकार शुरू होती हैं एक दिन गुरमीत सिंह अपने खेत में दवाई का छिड़काव कर रहे थे , उन्होने अपने छोटे भाई से कहा की पशुवो के लिए कुछ चारा खेत में से कटाई करके ट्रेक्टर में डाल दे | परन्तु छोटे भाई ने उनकी नहीं सुनी और वह से चला गया | गुरमीत सिंह दिन भर छिड़काव करते रहे उन्होने उस दिन ७३ पंप अकेले छिड़काव किया , उनके सारे कपड़े दवाई में भीगे हुए थे | अपना धयान रखे बिना , उन्होने शाम को चारा काटने का निश्चय किया | कहते हेना किसान अपने पशुवो की देखभाल अपने घर के सदस्य की तरह की करता हैं | उनका शरीर पूरा पसीने में भीग चूका था , ऊपर से अँधेरा भी हो चूका था | तब उनके बुजुर्ग पिताजी उन्हे देखने खेत पर आये और घर पर चलने के लिए कहा , दोनों पिता पुत्र ट्रेक्टर में घर की और निकलने वाले थे तब गुरमीत सिंह ने कुछ नीबू और टिंडे तोड़कर रखे और पिताजी को कहा की इसमें ५ नीबू और सब्जी रखी हुई हैं | बस यही वाक्य जिसने उनकी जिंदगी बचा ली थी , खेर अभी आप सोच रहे होंगे इस वाक्य से कैसे किसी की जान बच सकती हैं | वाक़या कुछ इस तरह हुआ जब ट्रेक्टर पर उनके शरीर पर पसीने और खेत की दवाई में आपसी रासायनिक क्रिया के चलते , भाई के बरताव के कारन दिमागी संतुलन न होने के कारण उन्हे कुछ देर के लिए मूर्छित कर दिया , और वह चलते ट्रेक्टर से गिर पड़े , और उनके पैर ट्रेक्टर के पहियों के ऊपर बने बोनट में फस गए | तब उनके पिताजी ने ट्रेक्टर रोक कर लोगो को मदद के लिए बुलाया , लोग कहने लगे यह अब नहीं बचेगा | उनके पिताजी ने कहा पहले बहार निकालो फिर देखते हैं | बहार निकलने के बाद उनके पिताजी को वह वाक्य याद आया की थेले में ५ नींबू रखे हुए हैं | उन्होने एक लड़के को कहा की इसमें से नींबू निकाल कर इसको नीबूं पीला , लेकिन रात का वक्त अँधेरा होने के कारण , वह नींबू और टिंडे में फरक नहीं कर पाया क्यों की दोनों का आकार एक जैसा ही होता हैं | तब उन्होने कहा इनको अपने मुँह से चख कर देख नींबू निकलेंगे | लड़का जितने बार निकाल कर चखता टिंडे ही निकलते , लड़का कहने लगा इसमें सब टिंडे हैं | तब उन्होने कहा नहीं गुरमीत ने कहा हे इसमें ५ नीबूं हैं | लड़के नई फिर कोशिश की और नींबू निकल कर उनकी मूर्छा तोड़ दी | तब से गुरमीत सिंह ने सोचा मेरे जैसे कितने किसान इस प्रकार अपनी जान गवा देते हैं | फिर उन्होने एक ऐसी मशीन निजात की जिससे खेतो में दवाई डालने का काम बहुत ही आसान हो गया और उन्होने निश्चय किया काम से काम कीमत में इसे किसानो को उप्लब्ध करेंगे | उनके इस काम के लिए हाल ही में हुए नवप्रवर्तन उत्सव ( fine 2019) में सम्मानित किया गया | ये थी गुरमीत सिंह की कहानी , अगर आप भी ऐसे किसी वयक्तित्व से प्रभावित हैं तो हमे जरूर लिखिए |
गुरमीत सिंह अपने नये स्प्रेयर के साथ |
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