माँ

अपनी हिस्से की रोटी खिला कर पाला था
फटे आंचल से सर्दी धूप को टाला था

बीबी अब प्यारी लगती है
माँ तो अब बीमारी लगती है

कई दिनों से माँ की तबीयत पस्त है
बेटा तो अपनी पार्टियों में व्यस्त हैं

माँ अब तो बुढ़ी हो गई
टूटी हुई रीढ़ की हड्डी हो गई

उसकी आवाज अब बहु को खलती है
माँ तो अब जैसे तैसे चलती है

छुप छुप कर बस वो अब रोती है
बेटा कहता माँ तू खोटी हैं

एक दिन बोला बेटा - चलो माँ तुम्हें घुमा लाता हु
बीबी को बताया माँ को "वृद्ध आश्रम" छोड़ आता हू

वृद्ध आश्रम में माँ अब दरवाजों को तकती है
घर दहलीज आँगन को अब वो तरसती है

जिस देश में माँ बाप पूज्य होते हैं
अफ़सोस वहां भी वृद्ध आश्रम होते हैं

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